माही (धोनी) की लोकप्रियता: क्रिकेट से हट कर
अयान रेहान हाजीपुर बिहार
संपर्क : 7277222729
Title: "Captain Cool - A Legendary Journey of MS Dhoni in Cricket"
महेंद्र सिंह धोनी: क्रिकेट की दुनिया का एक ऐसा सितारा जिससे पूरा भारत परिचित है. जब उन्होंने क्रिकेट में पदार्पण किया तो पहले मैच में 0 पर रन आउट होने के बाद अपने डूबते करियर को उन्होंने अपनी बल्लेबाजी, विकेटकीपिंग, कप्तानी में ट्रॉफी आदि से इतनी ऊंचाई तक पहुंचाया कि आज धोनी एक नाम नहीं बल्कि एक इमोशन बन गया है। झारखंड के एक छोटे से शहर से निकला रेलवे टी टी ई जिसे कोई नहीं जानता था, आज उसने ऐसा मुकाम हासिल कर लिया है कि उसे अब किसी परिचय की जरूरत नहीं है। खुद धोनी के मुताबिक उस ने दोस्त तक को अपना नाम मुँह से नहीं बल्कि अपने प्रदर्शन से बताया था.
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2007 वर्ल्ड कप में कप्तान बनाए गए क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी कप्तानी में ऐसी छाप छोड़ी कि आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहे 4 साल बाद भी, वह सबके दिलों का कप्तान हैं. वह आज भी लाखों दिलों पर राज करता है। वैसे तो हजारों क्रिकेटर प्रसिद्ध हुए। कई आए और गए। कोई रन मशीन, कोई रावलपिंडी एक्सप्रेस , कोई तो क्रिकेट के भगवान तक से मशहूर हुआ, मगर कैप्टन कूल के नाम से मशहूर इस शख्स ने जो प्यार और सम्मान पाया है, वह आज 42 साल की उम्र में जब की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहे 4 साल बीत चुके फिर भी जो सम्मान कमा रहा है वह किसी से छिपा नहीं है। माही साल 2023 में आईपीएल खेलना जारी रखते हुए, जहां जिस शहर में भी मुकाबला खेलने जाता , वहां प्रशंसकों की बाढ़ सी आ जाती।
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स्टेडियम चाहे कोलकाता का हो या दिल्ली, बैंगलोर, गुजरात, हैदराबाद, लखनऊ, पंजाब, राजस्थान, मुंबई, चेन्नई तो उसका घरेलू मैदान था। वो जहां भी जाता उसके चाहने वालों की भीड़ सैलाब की तरह उमण्ड पडती थी और ये सैलाब ही उसकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाने के लिए काफी है.
धोनी चाहे रन बनाए न बनाए, छक्का लगाए न लगाए मगर जैसे ही वह बल्लेबाजी के लिए सिर्फ मैदान पर उतरता था तो उसके प्रशंसकों का उत्साह देखने लायक होता था. टी20 में जब 18वें और 19वें ओवर में विकेट गिरते हैं तो प्रशंसकों के चेहरे मायूस हो जाते हैं और स्टेडियम में सन्नाटा पसर जाता है, लेकिन जब मैच सी. एस. के. का हो और अगर 18वें या 19वें ओवर में कोई विकेट गिरता था तो पूरा स्टेडियम खुशी से झूम उठता था. किसी भी फैन को इस बात की चिंता नहीं होती कि विकेट गिरा है बल्कि सभी खुश होते थे कि अब उनका चहेता सुपरस्टार माही मैदान पर आ रहा है| फैन्स माही की एक झलक पाने को बेताब रहते थे, भले ही माही रन न बनाए, मगर माही सिर्फ बल्लेबाजी के लिए उतरे भी तो उसकी एक झलक सबके लिए काफी होती थी.
आखिर क्या बात थी ? आखिर क्या वजह थी कि तमाम फैन्स उसकी एक झलक पाने के लिए बेताब थे? ‘जडेजा’ को क्यों मानना पड़ा कि जब मैं धोनी से ऊपर बल्लेबाजी करने आता हूं तो मेरी ही टीम के प्रशंसक मेरे आउट होने की दुआ करते हैं।
Title: "Captain Cool - A Legendary Journey of MS Dhoni in Cricket"
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माना जाए तो इसका सीधा और आसान सा जवाब है कि धोनी ने भारतीय क्रिकेट को जो दिया है, वो अब शायद ही कोई और दे सके. भारत द्वारा जीती गई लगभग सभी आईसीसी ट्रॉफी केवल एक कप्तान के बस की बात नहीं है, यही वजह है कि उसे इतनी लोकप्रियता मिली। लेकिन आज मैं उसके क्रिकेट के बारे में बात नहीं करूंगा। धोनी ने कितने मैच खेले, कौन सी ट्रॉफी जीती, इस पर बात नहीं करूंगा, आज बात उसकी लोकप्रियता की अहम कड़ी की होगी जिसने माही को आज इतना सम्मान दिया है, उसकी यानी आज बात 'माही द लेजेंड', माही ‘द इमोशन’, माही 'द सुपर कूल', माही 'द कैप्टन', माही 'एक इंसानियत परस्त की होगी । क्योंकि यही वह वजहें हैं कि माही को इतना प्यार और इतनी लोकप्रियता मिली।
जीत हो या हार, शतक बनाए या कैच लपके, आम ट्रॉफी उठाए या कप, शांति पसंद माही कभी भी उत्साह के स्तर को पार नहीं करता। चेहरे पर हल्की सी मुस्कान के साथ मुस्कुराता माही हर खुशी के पल में यही संदेश देता है कि खुशियां कितनी भी ज्यादा क्यों न हो, इंसान को इतना जोश में नहीं आना चाहिए कि वह अपनी हदें पार कर जाए, जैसा कि कई बार देखा गया है कि जब खिलाड़ी खुश होते हैं तो जूते में ही शराब डालकर पीने लगते हैं। लेकिन माही इन सब से अलग बेहद संतुलित तरीके से एन्जॉय करता हैं। या यूं कहें कि माही खुशियां मनाता कम और बांटता ज्यादा है। सुख और दुख मानव जीवन का अहम हिस्सा है। अगर आज खुशियां मिली हैं तो कल गम भी मिल सकता है और ऐसी बातों से धोनी हमेशा होशियार रहता है । एक ओर मैच हारने के बाद कप्तान का खिलाडियों को खडी खोटी सुना कर बाहर बैठाने की प्रथा रही है, लेकिन माही हार पर भी मुस्कुराते हुए चुपचाप अपनी कमियों पर काबू पाने और एक बार फिर खुद पर विश्वास कर के लगातार संघर्ष करने की हिम्मत देता है.
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माही द लीजेंड वह माही है जिसने किसी भी ट्रॉफी को उठाने के लिए खुद को आगे बढ़ाने के बजाय हमेशा युवाओं को आगे बढ़ाया है। यह आदत युवाओं को एक संदेश देती है कि आगे बढ़ो, हिम्मत रखो और अगर आज किसी ने उन्हें आगे बढ़ाया है तो कल खुद आगे बढ़ने का प्रयास करो । धोनी की खूबियां बताते हुए एक खिलाड़ी ने कहा, 'जब मैं धोनी की टीम में शामिल हुआ और टीम के कमरे में गया तो मैंने तीन तरह के डाइनिंग टेबल देखे। एक गैर भारतीय खिलाड़ियों के लिए और दूसरा टेबल हम युवाओं और जूनियर खिलाड़ियों के लिए था। और तीसरा टेबल सीनियर खिलाड़ियों के लिए, जब माही भाई आए तो उन्होंने सीनियर्स के साथ बैठने के बजाय हम युवाओं के साथ बैठकर खाना खाया।'महेंद्र सिंह धोनी का यही जज्बा और प्यार उन्हें अन्य खिलाड़ियों से अलग करता है और धोनी की लोकप्रियता का एक कारण है।
टीम तो हर कप्तान को मिलती है, लेकिन इसे चलाना माही से बेहतर कोई नहीं जानता। कई ट्रॉफी विजेता महेंद्र सिंह धोनी जब वह मैदान पर हों, उसकी बेहतर दूरदर्शिता, कब, किसे, कहां फील्ड पर रखना है,, किसे गेंदबाजी करानी है, कब रिव्यू लेना है या छोड़ना है, ये उस से बेहतर और कोई कप्तान नहीं कर पाता| यही वजह है कि विकेट के पीछे खड़े इस खिलाड़ी ने अपनी बिजली की गति से स्टंप करने और अपनी इन्हीं मानसिक क्षमता से कई हारे हुए मैचों का पासा पलट दिया है| लोगों को यह कहने पर मजबूर कर दिया है कि 'कोई था जो विकेट के पीछे से मैच का पासा पलट देता था'. लोग डीआरएस को 'डिसीजन रिव्यू सिस्टम' की जगह 'धोनी रिव्यू सिस्टम' कहने से नहीं कतराते, क्योंकि इसके तेज दिमाग डिसीजन के कारण ही यह खूबी रही है कि जब उसने रिव्यू का इस्तेमाल किया हो, लगभग 90% ऐसे मामलों में अंपायर को अपना फैसला बदलना पड़ता है |
महेंद्र सिंह धोनी का यह उच्च स्तरीय दिमाग उसकी काबिलियत को दिखाता है और हमें यह संदेश देता है कि जरूरी नहीं कि सब कुछ अत्यधिक मेहनत करने से ही हासिल हो, अगर आप कड़ी मेहनत के साथ-साथ अपने जीनियस दिमाग का भी इस्तेमाल करते हैं, तो आप चीजों को हासिल कर सकते हैं। यह सही है। मगर यदि आप शारीरिक रूप से असमर्थ हैं तो भी आप अपनी मानसिक क्षमता का उपयोग करके बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। इसका एक बेहतर उदाहरण विकेट के पीछे खड़ा माही है क्योंकि विकेट के पीछे खड़ा माही नहीं बल्लेबाजी कर सकता है और न गेंदबाजी |
मल्टी टैलेंटेड धोनी कभी भी जमीन पर सोने से या छोटे व्यक्तितव के साथ फोटो खिंचवाने से नहीं कतराता, बल्कि ये वो शख्स है जिसके साथ जब सभी बड़े व्यक्तितव फोटो खिंचवाते हैं तो वो खुद ग्राउंड स्टाफ को इकट्ठा करता हैं और उनके साथ फोटो लेता है|
आर्मी लवर, बाइक लवर, खेत खलियान लवर माही को इन जगहों पर उनके साथ फुरसत के पल बिताने में काफी सुकून मिलता है।
लगभग 15-20 साल के करियर में हमेशा बिंदास रहने वाले माही ने एक-दो बार गलत होने पर थोड़ी आक्रामकता भी दिखाई है, जिससे यह संदेश जाता है कि शालीनता में हमें इतना भी चुप नहीं रहना चाहिए जब कुछ हमारे सामने गलत हो, और हमसे ही सारी उम्मीदें जुड़ी हुई हों, लेकिन फिर भी हम चुप रहें और अपने हक़ और सच्चाई के लिए कदम भी नहीं उठा सकें।
आज धोनी हमारे बीच लोकप्रिय तो बहुत है, हम चाहते तो उसे बहुत हैं, लेकिन जब उसके संदेशों को हृदय में लगाने की बात आती है, तो उसके गुणों पर अमल करने के बजाय अपना रास्ता अलग बना लेते हैं। जिससे हमारा कुछ भला नहीं हो सकता।
याद रखें ऐसे व्यक्तित्व किस्मत से ही मिलते हैं दुबारा ऐसा क्रिकेटर मिलना जो न केवल एक महान क्रिकेटर बल्कि एक बेहतर इंसान भी हो। यह बेहद कठिन है।
धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करते हुए कहा था, ''कल कोई और आएगा जो मुझसे बेहतर खेलेगा”. तो हो सकता है की कोई और आये जो माही से अच्छा खेले मगर, एक ही इंसान जो एक बेहतर बल्लेबाज़, बेहतर फिनिशर, बेहतर विकेटकीपर, बिजली सा स्टाम्प करने वाला, बेहतर कप्तान, शातिर दिमाग जो सिर्फ दिमाग से फिल्ड सेट कर के मैच का पैसा पलट सकता हो, एक इमोशन, एक कैप्टन कूल, इंसानियत व प्रेम की मिसाल का बादशाह. शायद ये अब फिर कभी नहीं आएगा| अपने रिटायरमेंट के समय धोनी ने बहुत अच्छी पंक्तियाँ गाई थी जो एक मौन संदेश लिये हमेशा भावुक करती है कि जिन्दगी पर कभी घमन्ड न करें क्योंकि कल न अपना कैप्टन कूल होगा न तो हम । "मैं पल दो पल का शायर हूं, पल दो पल मेरी कहानी है। पल दो पल मेरी हस्ती है। पल दो पल मेरी जवानी है"।
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Hamari ye post aapko kaisi lagi, apni raay comment kar ke hame zarur bataen. Post padhne k lie Shukriya 🌹