उजड़ चुकी है जो बस्ती उधर चले हो तुम
"खबर मिली है - एक गीत शेर | इश्क़ और वियोग के दर्द से भरा"
खबर मिली है ये कैसी बिछड़ रहे हो तुम
निखरना तुमको था लेकिन बिखर गए हो तुम
सफ़र शुरू ही हुआ था कि खत्म भी करने
बगैर रख़्ते सफ़र बांधे चल पड़े हो तुम
मिलेगी कैसे यहाँ अब तुम्हें कहीं मंज़िल
जो राह ए हक को यहीं छोड़ चल दिये हो तुम
न फिक्र अपनी है और न ख्याल अपनों का
दिलों को तोड़ बहुत सख्त अब बने हो तुम
ये कैसी सोच में गुम हो इधर ज़रा देखो
उजड़ चुकी है जो बस्ती उधर चले हो तुम
क्या ही खूब दिखाई है तुम ने तो हिम्मत
करूँ सलाम मैं इस पर जो ये किये हो तुम
कहेंगे लोग जो रैहान आज कहने दो
रुको न , आगे बढ़ो अब, बहुत रुके हो तुम
"खबर मिली है - एक गीत शेर | इश्क़ और वियोग के दर्द से भरा"
निखरना तुमको था लेकिन बिखर गए हो तुम, सफ़र शुरू ही हुआ था कि खत्म भी करने, इश्क़ के बेवजह रूठे दिल का दर्द अब बयां करते हैं ये कवितायी गीत शेर। संगीत और बोल दोनों में छुपा हुआ जज़्बा जागृत करने वाले यह शेर कायम रखेगा अपना स्थान।"
गीत शेर (Geet Sher)
इश्क़ और वियोग (Ishq aur Viyog)
खबर मिली है (Khabar Mili Hai)
सफ़र की कविता (Safar ki Kavita)
रूठे दिल का दर्द (Ruthe Dil ka Dard)
ग़म और दर्द (Gham aur Dard)
कवितायी शेर (Kavitayi Sher)
भावुक शेर (Bhavuk Sher)
विचारपूर्वक कविता (Vicharpoorvak Kavita)
इश्क़ीया ग़ज़ल (Ishqiya Ghazal)
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Hamari ye post aapko kaisi lagi, apni raay comment kar ke hame zarur bataen. Post padhne k lie Shukriya 🌹