مجھے تم نظر سے گرا تو نہ دوگے؟
مجھے دل سے اپنی بھلا تو نہ دوگے؟
جو شمعیں جلائی ہیں میں نے وفا کی
اسے بے وفا بن بجھا تو نہ دوگے؟
کبھی اشک بن کر ، کبھی بن کے حسرت
تڑپ میرے دل کی بڑھا تو نہ دوگے؟
اگر نام لب پہ جو آ جائے میرا
دکھاوے سے بس مسکرا تو نہ دوگے؟
کہیں مٹ گئی دل سے الفت اگر پھر
ہلا ہاتھ کہہ الوداع تو نہ دوگے؟
تمہیں چاہ کر بھی نہیں بھول پائے
مرے دل کو ایسی سزا تو نہ دوگے؟
نہ جانے مجھے کیوں یہ لگنے لگا ہے
میرے پیار کو تم مٹا تو نہ دو گے ؟
کسی نے جو پوچھا سبب آنسوؤں کا
تو ریحانؔ کہہ کر بتا تو نہ دو گے ؟
मुझे तुम नजर से गिरा तो न दोगे,
मुझे दिल से अपनी भुला तो न दोगे।
जो शमएं जलाई हैं मैंने वफा की,
उसे बेवफा बन बुझा तो न दोगे?
कभी अश्क बनकर, कभी बन के हसरत,
तड़प मेरे दिल की बढ़ा तो न दोगे?
अगर नाम लब पर जो आ जाए मेरा,
दिखावे से बस मुस्कुरा तो न दोगे?
कहीं मिट गयी दिल से उल्फत अगर फिर
हिला हाथ कह अलविदा तो न दोगे?
तुम्हें चाह कर भी नहीं भूल पाए
मेरे दिल को ऐसी सज़ा तो न दोगे
ना जाने मुझे क्यों यह लगने लगा है,
मेरे प्यार को तुम मिटा तो न दोगे ?
किसी ने जो पूछा सबब आँसुओं का,
तो रेहान, कह कर बता तो न दोगे?
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Hamari ye post aapko kaisi lagi, apni raay comment kar ke hame zarur bataen. Post padhne k lie Shukriya 🌹